निवेश के किताबों में हमेशा एक सीख लिखी होती है - " जब सभी लालच दिखाएँ तो आपको बाज़ार से डरना चाहिए और जब सभी डर रहे हों तो आपको लालच दिखाना चाहिए "
आज जब Sensex and Nifty अपने नए शिखर को रोज़ तोड़ती जा रही है, तो निवेशकों को अपने emotional behaviour पर नियंत्रण करना काफ़ी कठिन हो रहा होगा । जैसा की हमेशा होता है , निवेशक अपने आस पास की घटनायों से ज़्यादा प्रेरित हो जाते हैं और बहाव में आकर अक्सर गलती कर बैठते हैं ; जब उनको Equity बाज़ार से डरना चाहिए तो वो उसमें कूद पड़ते हैं और जब उनको Equity बाज़ार में कूदना चाहिए तो वो उससे दूर रहते हैं ।
ऐसा ही कुछ माहौल आज कल बना हुआ है । आम निवेशक निम तीन सवाल के जवाब ढूँढ रहे हैं :
१। क्या सारे shares महँगे हो गए हैं ? क्या इस वक्त equity में निवेश करना फ़ायदेमंद रहेगा ? अगर 'हाँ' तो फिर कहाँ निवेश करना चाहिए ?
२। अगर मेरे पॉर्ट्फ़ोलीओ में 20% से भी ज़्यादा रिटर्न आ रहा है तो क्या मुझे प्रोफ़िट बुक कर लेना चाहिए या निकाल जाना चाहिए ?
तो चलिए दोनो सवालों को अलग अलग देखते हैं ?
क्या सारे shares महँगे हो गए हैं ? क्या इस वक्त equity में निवेश करना फ़ायदेमंद रहेगा ? अगर 'हाँ' तो फिर कहाँ निवेश करना चाहिए ?
बिलकुल नहीं । जैसा की हमने अपने हर वेबिनार एवं ट्रेनिंग में बोला है - " बाज़ार में अभी भी बहुत सारे stocks हैं जिनकी वैल्यूएशन आकर्षित है "। इसलिए यह ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है है की हमें अपने पॉर्ट्फ़ोलीओ में सही बदलाव हो जाए ,जैसे की - फ़ार्मा के high valuation स्टॉक्स से प्रोफ़िट निकाल कर Infra and PSU के low वैल्यूएशन स्टॉक्स में डालना चाहिए , इत्यादि । और अगर किसी Equity प्रोडक्ट से प्रोफ़िट बुक कर रहे हों तो उस फ़ंड को Debt प्रॉडक्ट्स में निवेश करना चाहिए ।बढ़े हुए बाज़ार में कुछ स्मार्ट निवेशक अपने मुनाफ़े वाले स्टॉक को आधा बेच कर अपना ख़रीद मूल्य भी कम कर लेते हैं ।
नीचे दिए गए table के मदत से हमारे readers अपने पॉर्ट्फ़ोलीओ में बदलाव कर सकते हैं । Of course कोई भी फ़ाइनल ऐक्शन के पहले अपने निवेश का Risk and Tenure ज़रूर देख परख लें ( all returns shown in the table is %age p.a) :
अगर मेरे पॉर्ट्फ़ोलीओ में 20% से भी ज़्यादा रिटर्न आ रहा है तो क्या मुझे प्रोफ़िट बुक कर लेना चाहिए या निकाल जाना चाहिए ?
बेशक। आपको ज़रूर प्रोफ़िट बुक करना चाहिए और अपने पॉर्ट्फ़ोलीओ का Risk को कम कर लेना चाहिए । पर यहाँ सबसे बड़ा सवाल है - प्रोफ़िट बुक करने के बाद उस पैसे को कहाँ लगाएँ ?
That's why they say - " Re Investment Risk is the biggest Risk "
एक बात समझना बहुत ज़रूरी है की wealth creation के सफ़र में average returns का सारा महत्व होता है - यानी की 10 years के रिटर्न में +25% , -12%, +10%, +52%, -20% ......जैसे नम्बर शामिल हो सकते हैं , तब जाकर 12-14% ka औसत बनता है । Equity फ़ंड में पैसा कमाने के लिए आपको अपने greed and fear को सम्भाल कर लम्बे समाए तक रुकना चाहिए । इसलिए इस दुनिया के ख़ुशाल निवेशकों से पूछें तो उनका कहना है - मैंने सारा wealth सिर्फ़ Invest and hold करके ही बनाया है ।
और जिन निवेशकों को अपने greed and fear पर नियंत्रण करना कठीन होता है , उनको Dynamic Asset Allocation फ़ंड्ज़ में निवेश कर के निश्चिंत बैठ जाना चाहिए । Asset Allocation Funds और इसके ख़ासियत के बारे में जानने के लिए आप हमारा educative video देख सकते हैं :
Mutual Fund investments are subject to market risks, read all scheme related documents carefully. The NAVs of the schemes may go up or down depending upon the factors and forces affecting the securities market including the fluctuations in the interest rates. The past performance of the mutual funds is not necessarily indicative of future performance of the schemes. The Mutual Fund is not guaranteeing or assuring any dividend under any of the schemes and the same is subject to the availability and adequacy of distributable surplus. Investors are requested to review the prospectus carefully and obtain expert professional advice with regard to specific legal, tax and financial implications of the investment/participation in the scheme.
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